(आमिर खुर्शीद मलिक) जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा और सीमा पर पाकिस्तान की ओर से हो रही नापाक हरकतें एक नये किस्म की नाउम्मीदी को जन्म दे रही हैं ।हालात सुधरने के बजाय लगातार बिगड़ते नज़र आ रहे हैं।उधर भारत-पाक सीमा पर संघर्ष की घटनाएं गंभीर रूप लेती नजर आ रही हैं, लेकिन पाकिस्तान इसे समझने को तैयार नहीं लगता।संघर्ष विराम के बाद भी घुसपैठ को बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान वर्ष 2014 में संघर्ष विराम उल्लंघन के अपने ही सारे रेकॉर्ड तोड़ चुका है। भारत की नई स्थायी सरकार के आने के बाद उम्मीद बंधी थी कि सीमा पर अशांति के मामले पर लगाम लग सकेगी , पर हालात तो दिन ब दिन और बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान ने भारत की तरफ सीमा पर अपनी फौजों की तैनाती भी बढ़ा दी है।दोनों देशों की आबादी पूरे विश्व की लगभग एक चौथाई है और दोनों परमाणु ताकत से संपन्न हैं। ऐसे में इन दोनों देशों में शान्ति और इनकी स्थिरता को विश्व शांति के लिए बहुत अहम माना जाता है।लेकिन इसके बावजूद अन्तराष्ट्रीय समुदाय अभी तक पाकिस्तान पर किसी भी तरह का दबाव बनाने में नाकाम रहा है । सीमा पर लगातार जारी इस घुसपैठ और गोलीबारी में पाकिस्तानी फौजों के साथ आतंकवादी गतिविधियों के सम्मिलित होने की बात अक्सर सामने आई है । दुनिया भर से आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आतंकवादियों का समर्थन करती है ।अपने ही देश में आतंकवादियों को आश्रय देने में पाकिस्तान की नीति के चलते पाकिस्तान को विश्व समुदाय से खरी-खोटी तो सुनने को मिली , पर अमेरिका समेत सारे देश पाकिस्तान में चल रही इन गतिविधियों पर रोक लगाने में नाकामयाब रहे हैं । दोनों देशों के बीच कश्मीर विवाद की एक बड़ी जड़ है ,और पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक का कहना है, "सीमा के दोनों पार खेल खराब करने वाले बैठे हैं, जो शांति नहीं देखना चाहते हैं."सीमा पर पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ लश्कर आतंकियों की मौजूदगी का पता चला है।घुसपैठ और भारत में बड़े आतंकी हमले कराके पाकिस्तानी सेना अपनी अंदरूनी समस्या से ध्यान बंटाना चाहती है। सीमा पर आतंकियों की मौजूदगी एकदम साफ है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि भारत के मामले में पाकिस्तान का दोहरा मापदंड स्पष्ट है।
पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकियों की सक्रियता के वीडियो, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की मौजूदगी की खुफिया जानकारी, भारतीय जल सीमा में घुसी संदिग्ध पाकिस्तानी नौका में धमाका और जहाज अपहरण की धमकी आदि से जाहिर होता है कि पाक रेंजर की फायरिंग की आड़ में पाक-समर्थित आतंकी कोई बड़ी साजिश रच रहे हैं.समंदर से लेकर सरहद तक उसकी नापाक हरकतें जारी हैं।अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कई अग्रिम सीमा चौकियों और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाने से सीमाई गांवों के निवासियों में दहशत फैल गई है। सांबा और कठुआ जिलों में सीमा से लगे क्षेत्रों में हालात बहुत गंभीर हैं।इधर, जम्मू-कश्मीर में तंगधार पुलिस पोस्ट पर रॉकेट दाग कर धमाका किया गया ।रिहाइशी इलाकों तक को नहीं बख्शा जा रहा है। नतीजतन बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हुए हैं।रिगल, चलीयारी, सुचेतगढ़ सहित सांबा सेक्टर की सीमावर्ती चौकियों पर फायरिंग के साथ मोर्टार भी दागे.
दोनों मुल्क कई जंग लड़ चुके हैं। 1971 की लड़ाई में मिली शिकस्त के बाद से पाकिस्तान ने अपनी सैनिक ताकत बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया है। आज दोनों मुल्क परमाणु हथियारों से लैस हैं। ऐसे में अगर युद्ध की नौबत आती आती है तो एक बड़ी बर्बादी से इनकार नही किया जा सकता । पाकिस्तान की तरफ से अक्सर सीजफायर का उल्लंघन होता रहा है। लेकिन बार बार उकसाने के बाद भी भारत ने संयम बरता है। लेकिन लगातार होते हमलों को बर्दाश्त करते जाना भी कोई हल नही है ।
पाकिस्तान ने पोरबंदर में समुद्र के रास्ते विस्फोटक भेज कर बड़ी घटना को अंजाम देने कोशिश की। जिसे सतर्क कोस्ट गार्ड ने विफल कर दिया। 31 दिसंबर की आधी रात में पाकिस्तान के कराची शहर से चलकर भारत में गुजरात के पोरबंदर शहर के पास आ रही मछुआरों की एक पाकिस्तानी नाव को भारतीय तटरक्षकों ने देख लिया और उसका पीछा किया। लेकिन जब तटरक्षक दल उस नाव को अपने कब्जे में करने के लिए आगे बढ़ने लगा तो घुसपैठियों ने अपनी बोट को ही आग लगा दी। आग की लपटें इतनी ज्यादा थीं जो ये बात साबित कर रही थीं कि ऐसी आग नाव के डीजल की वजह से नहीं लग सकती बल्कि नाव में गोला-बारूद होने पर ही ऐसी भीषण आग लग सकती है। खुफिया विभाग की मानें तो ये लश्कर के आतंकी थे जो भारत में किसी बड़े आतंकी हमले को अंजाम देने की फिराक में थे। हालांकि अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने लिखा है कि जिस बोट में आग लगी उसमे आतंकवादी सवार नहीं थे । बल्कि कुछ छोटे-मोटे तस्कर थे जो पाकिस्तान से डीजल और शराब की तस्करी करते हैं।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद भारत और पाकिस्तान का आपसी झगड़ा नाटकीय ढंग से बढ़ सकता है। लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद ने हाल ही में एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा है, "अमेरिका की फौजों के हटते ही कश्मीर में पूरी तरह सशस्त्र जिहाद शुरू किया जाएगा." इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है। 1989 में रूसी सेना के अफगानिस्तान से हटने के बाद मुट्ठी भर गुरिल्ला छापामारों ने कश्मीर में हिंसा शुरू की थी, जो बाद में तेजी से बढ़ती गई।भारत के लिए लश्करे तैयबा हमेशा से बड़ा खतरा रहा है, जिसकी स्थापना 1990 में हाफिज सईद ने अफगानिस्तान में की थी। सईद पर मुंबई हमले की साजिश रचने का भी आरोप है। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है। लेकिन वह पाकिस्तान में खुला घूमता है। पिछले हफ्ते ही उसने एक विशाल जनसमूह को संबोधित किया। लेकिन अमेरिका पाकिस्तान के इस अपराधी को पकड़ने में नाकाम नज़र आ रहा है । अमेरिका इस पर बंदिश लगाने के लिए पाकिस्तान पर कोई भी दबाव बनाने में भी असफल रहा है । हालांकि लश्कर पूरी दुनिया में सक्रिय होना चाहता है लेकिन उसका पहला मकसद कश्मीर को "भारत के चंगुल से छुड़ाना" है। इस काम के लिए वह दुनिया भर के दूसरे आतंकवादी संगठनों से भी मदद ले रहा है। इसके एक सदस्य का कहना है, "यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के तहत कई संगठन मिल कर काम कर रहे हैं ।"
पाक सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर कश्मीर मसले को गर्माना चाहती है इसलिए पाक सेना जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के सीमावर्ती इलाकों को निशाना बना रही है।जिससे विश्व समुदाय के सामने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया जा सके । उधर टीटीपी ने वीडियो में कश्मीर और अफगानिस्तान में खूनी खेल और छद्म युद्ध के लिए पाकिस्तान की सेना को जिम्मेदार ठहराया। तालिबानी कमांडर वीडियो में दावा कर रहा है कि उसके लड़ाकों का पाकिस्तानी सेना कश्मीर में इस्तेमाल किया। 1948 में भी पाक सेना ने तालिबानी लड़ाकों का इस्तेमाल किया वीडियो में जम्मू-कश्मीर पर 1948 के हमले का जिक्र करते हुए रशीद कहता है कि तुम्हें याद होगा जब 1948 में हमारे कबायली भाइयों ने तुम्हारे लिए आजाद जम्मू और कश्मीर पर हमला किया था। इस सबसे पाकिस्तान की मंशा बेनकाब हो रही है । पर अमेरिका अभी भी पाकिस्तान को मदद देने के अपने रुख पर कायम है ।
वीडियों में पाक सेना पर तालिबानी कमांडर ने हमला बोलते हुए कहा कि पाक ने पहले उसेक युवा लड़ाकों को धोखे में रख कश्मीर में झोंक दिया और अब पाक सेना उसी टीटीपी पर हमले कर रही है। पाक की सेना ने किया महिलाओं के साथ बलात्कार तहरीक-ए-तालिबान द्वारा जारी वीडियो में रशीद वीडियो पाक सेना पर बलात्कार जैसे संगीन आरोप लगाता है। वह वीडियो में कहता है कि पाकिस्तान का मुसलमान कश्मीर में तुम्हारे खूनी खेल को भूला नहीं है। कश्मीर की आजादी के नाम पर चलाए जा रहे छद्म युद्ध की हकीकत भी वो अच्छी तरह समझता है। रशीद युवा लड़ाकों और सैनिकों से टीटीपी में शामिल होने को कहता है। रशीद ने सेना पर 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष के दौरान लाखों को मारने और महिलाओं का बलात्कार करने का आरोप भी लगाया।
दरअसल कश्मीर की तरह ही सरक्रीक का भी मसला है, जिस पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के बीच कोई सहमति नहीं बन पाई है । सर क्रीक एक ऐसा नाला है, जो गुजरात के कच्छ जिले और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच है। इसे भले ही सर क्रीक के तौर पर ही ज्यादातर पुकारा जाता हो, लेकिन कच्छ के पुराने दस्तावेजों में इस सिर क्रीक कहा गया है। इसका कारण ये बताया जाता है कि पहले इस नाले में सीरी नामक मछली पाई जाती थी, जिसके नाम पर इस नाले का नाम पड़ा सिर क्रीक। सर क्रीक की कुल लंबाई करीब 68 किलोमीटर की है, जबकि इसके आगे का दलदली इलाका, जो बोर्डर पिलर नंबर 1175 पर खत्म होता है, वो 36.4 किलोमीटर का है. इस तरह से कुल 104.4 किलोमीटर लंबाई का ये इलाका ही भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद की एक जड़ है। देश की आजादी के बाद जहां कच्छ रियासत का भारत में विलय हुआ, वही सिंध प्रांत पाकिस्तान में गया। इसके बाद एक बार फिर से विवाद की शुरुआत हुई, जिसकी परिणति कच्छ के रन्न में पाकिस्तान की 1965 में हुई घुसपैठ और फिर उसके बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध के तौर पर सामने आई।इसके बाद कच्छ सीमा विवाद को सुलझाने के लिए जो अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ब्रिटिश प्रधानमंत्री हेरॉल्ड विल्सन की अध्यक्षता में बैठा, उसने छाड़ बेट सहित कच्छ के रन्न का करीब दस फीसदी हिस्सा पाकिस्तान को सौंपने का फैसला किया। पाकिस्तान ने नया विवाद खड़ा करते हुए ये कहना शुरू किया कि सर क्रीक का पूर्वी किनारा, जो भारत की तरफ था, उस तक उसका अधिकार बनता है. लेकिन भारत ने पाकिस्तान के इस दावे को गलत बताया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिमानों के मुताबिक, अगर दो देशों के बीच कोई नदी या नाला आता है, तो उसकी मध्यरेखा सीमा बनती है न कि उसका किनारा।इस बारे में साझा टीम की रिपोर्ट तैयार भी हुई, लेकिन उसके बाद आज तक फैसला नहीं हो पाया। इस बीच संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दी गई वो समय सीमा भी खत्म हो गई, जिस समय सीमा तक भारत और पाकिस्तान को इस विवाद को सुलझा लेना था। लेकिन पाकिस्तान के अड़ियल रुख के कारण यह विवाद भी कश्मीर की तरह लाइलाज मर्ज़ बनता जा रहा है ।